7 सितंबर 2025 की रात्रि को दिखाई देगा इस साल का अंतिम और सबसे शानदार (ब्लड मून)/पूर्ण चंद्रग्रहण

आसमान के दीवानों के लिए 7 सितंबर की रात एक ख़ास और शानदार खगोलीय सौगात लेकर आ रही है।
*क्या आप तैयार हैं*?
कल दिनांक 7 सितंबर, साल 2025 का एकमात्र पूर्ण चंद्रग्रहण (Total Lunar Eclipse) दिखाई देगा, जिसे संपूर्ण भारत सहित एशिया, यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों से साधारण आंखों से साफ़-साफ़ देखा जा सकेगा।
*क्या होता है चंद्रग्रहण* ?
वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि चंद्रग्रहण तब घटित होता है जब पृथ्वी ,सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा पर सूर्य का प्रकाश सीधे नहीं पड़ता है और पूर्ण चंद्रग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की गहरी छाया (umbra) में चला जाता है। इस स्थिति में, पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य की लाल-नारंगी तरंगों को मोड़कर चंद्रमा की सतह पर भेजता है, जिससे वह “ब्लड मून” यानी रक्तिम चंद्रमा जैसा दिखता है।
*क्या होता है ब्लड मून* ?

खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि ब्लड मून पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान घटित होता है, जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीच में आ जाती है। चंद्रमा को पूर्ण अंधकार में डुबोने के बजाय पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य के प्रकाश को मोड़कर बिखेर देता है। नीले और बैंगनी जैसे छोटे तरंगदैर्ध्य बिखर जाते हैं। वहीं जबकि लाल और नारंगी जैसे लंबे तरंगदैर्ध्य वायुमंडल से होकर चंद्रमा की सतह तक पहुंच जाते हैं। इसी बिखरी हुई लाल रोशनी के कारण चंद्रमा लाल रंग में नजर आता है। इसीलिए इसे ब्लड मून या “ब्लड मून” के अलावा “कॉर्न मून” और कभी कभी कॉपर मून भी कहा जाता है, क्योंकि यह सितंबर की पूर्णिमा के साथ मेल खाता है।
*कितने बजे से कितने बजे तक दिखाई देगा यह पूर्ण चंद्रग्रहण*?
वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि 7 सितंबर 2025 को जो चंद्रग्रहण घटित होगा उसका समय सारणी (IST – भारतीय मानक समय) कुछ इस प्रकार है।
चरण समय:
परिछाया प्रारंभ (Penumbral Start) रात 8:58 बजे
आंशिक ग्रहण प्रारंभ (Partial Start) रात 9:57 बजे
पूर्ण ग्रहण प्रारंभ (Totality Start) रात 11:00 बजे
ग्रहण का चरम बिंदु (Maximum) रात 11:41 बजे
पूर्ण ग्रहण समाप्त (Totality End) रात 12:22 बजे
आंशिक ग्रहण समाप्त (Partial End) रात 1:26 बजे (8 सितंबर)
परिछाया समाप्त (Penumbral End) रात 2:25 बजे (8 सितंबर 2025)

यह चंद्रग्रहण (Saros) सरोश श्रृंखला 128 का हिस्सा है, जो चंद्रग्रहणों की एक दोहराव श्रृंखला होती है।
यह घटना चंद्रमा के पृथ्वी के निकटतम बिंदु (Perigee) के लगभग ढाई दिन पहले होगी, जिससे चंद्रमा अपेक्षाकृत बड़ा दिखाई देगा – जिसे “सुपरमून” भी कहा जाता है।
इस पूर्ण चंद्रग्रहण की अवधि लगभग 82 मिनट (1 घंटा 22 मिनट) होगी, लेकिन संपूर्ण ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 27 मिनिट्स होगी जो इसे हाल के वर्षों के सबसे लंबे ग्रहणों में से एक बनाती है। 2022 के बाद से सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण। ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीका और यूरोप से चंद्रग्रहण दिखाई देगा इसका मतलब हुआ कि दुनिया की लगभग 85% आबादी को यह ग्रहण देखने का मौका मिल रहा है। जोकि अपने आप में विशेष है।
*कहां और कैसे देखें*?
खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि भारत के सभी हिस्सों से इस चंद्रग्रहण को आसमान साफ़ रहने पर बिना किसी विशेष उपकरण के अपनी साधारण आंखों से भी आसानी से देखा जा सकता है।
*क्या साधारण आंखों से देखना सुरक्षित है* ?
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि यह ग्रहण सूर्यग्रहण की तरह खतरनाक नहीं होता, इसलिए इसे नंगी आंखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन जो विशेष अंतरिक्ष प्रेमी हैं और इस चंद्र ग्रहण को और भी अधिक स्पष्ट दृश्य रूप में देखना चाहते हैं, तब वे किसी दूरबीन या टेलीस्कोप और बाइनोकुलर जैसे उपकरणों का सहारा ले सकते हैं। जिस से यह नज़ारा और भी भव्य दिखाई देगा। लेकिन यह ध्यान रहे कि खुले और प्रकाश-प्रदूषण रहित स्थान से देखने पर ही सबसे सुंदर दृश्य देखने को मिलेगा।
*क्या है इसका खगोलीय महत्व* ?
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि कोई भी ग्रहण वैज्ञानिकों के लिए एवं उस से संबंधित अनुसंधानों के लिए एक विशेष अवसर ही होता है ,जब चंद्रग्रहण के दौरान वैज्ञानिक पृथ्वी के वायुमंडल, चंद्र सतह की संरचना और प्रकाश प्रकीर्णन (light scattering) जैसे कई पहलुओं का अध्ययन करते हैं।

*अंधविश्वासों से कैसे बचें* ?
खगोलविद अमर पाल सिंह ने स्पष्ट किया कि चन्द्रग्रहण का किसी भी राहु-केतु जैसी अदृश्य ताकतों से कोई भी संबंध नहीं है। इसलिए इनसे डरने की कोई भी आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि समाज में डर या भय फैलाने वालों से हमेशा ही समाधान रहें और किसी भी चीज़ को पहले ठीक से जानें उसके बाद ही मानें क्योंकि सही ज्ञान सभी समस्याओं का समाधान, और यही है विज्ञान ।
और इस अद्भुत खगोलीय घटना का भरपूर आनंद लें और अपने समाज में भी वैज्ञानिक पहलुओं से सभी को अवगत भी कराएँ।
विशेष संदेश।
चन्द्रग्रहण प्रकृति की अद्भुत और सुंदर खगोलीय घटनाओं में से एक होता है, और इससे किसी भी व्यक्ति या जीव-जंतु पर कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है इसे खगोलीय घटनाओं के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही देखें, और अंधविश्वासों से दूर रहें और ख़ासकर के बच्चों को भी सही जानकारी ही दें, जिस से समाज में वैज्ञानिक वातावरण उत्पन्न हो सके।
🙏 धन्यवाद। 🙏
© खगोलविद अमर पाल सिंह नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर ,उत्तर प्रदेश ,भारत। 🌍🇮🇳🌟💫⭐✨💥
नोट _ विशेष खगोलीय घटनाओं से संबंधित जानकारियों हेतु सम्पर्क सूत्र +917355546489,
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