DRAG
Space To Space

On the occasion of Guru Purnima, the Buck Moon/Full Moon will be visible on July 10, 2025.

  • Home
  • Space Science
  • On the occasion of Guru Purnima, the Buck Moon/Full Moon will be visible on July 10, 2025.

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर 10 जुलाई 2025 को दिखाई देगा बक मून/ फुल मून 

10 जुलाई को रात्रि के आसमान में चांद  बड़ा और चमकीला भी दिखाई देगा। 

क्या होता है बक मून _ इस बाबत , वीर बहादुर सिंह ,नक्षत्र शाला ( तारामण्डल ) गोरखपुर के खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि जुलाई में होने वाले इस फुल मून/ पूर्णिमा को होने वाले पूर्ण चंद्र को खगोल विज्ञान भी भाषा में बक मून नाम दिया जाता इसको एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना जाता है जोकि प्राकृतिक चक्रों और उनके महत्व को दर्शाती है।

खगोल विद अमर पाल सिंह के अनुसार गुरुवार को बक मून पूरे वर्ष भर में सूर्य से सर्वाधिक दूरी पर रहेगा और क्षितिज पर काफी नीचा होने की वजह से उसका आकार भी काफी बड़ा नजर आएगा। वैसे तो यह बक मून 10 जुलाई की रात्रि को उदय होगा और पूरी रात्रि आकाश में अपनी छटा बिखेरता हुआ दिखाई देगा। लेकिन भारतीय समयानुसार 11 जुलाई की सुबह लगभग 2:08 am IST बजे यह अपने चरम बिंदु पर होगा। 

कैसे पड़ा इसका नाम _ खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि इस नाम के पीछे एक छोटी सी कहानी है। कि

सुपरमून को बकमून क्यों कहा जाता हैं?  खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि _

असल में यह नाम नेटिव अमेरिकन है. बकमून इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पारंपरिक रूप से उत्तरी अमेरिका में नर हिरणों की सींगें पूरी तरह से उगने के समय से मेल खाता है,  इन सींगों को बक कहते हैं. जोकि कई बार गिरते और उगते रहते हैं लेकिन जुलाई माह में इनकी ग्रोथ पूरी होती है, इसलिए इसको बक मून कहते हैं, कुछ लोगों द्वारा इस पूर्णिमा को नवीनीकरण, नई शक्ति एवं दृढ़ संकल्प के प्रतीक के तौर पर भी देखा जाता है जो इसके सार्वभौमिक महत्व को भी प्रदर्शित करता है।

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि अलग-अलग संस्कृतियों में इसके अलग -अलग नाम दिए गए हैं इस बक मून को अलग-अलग संस्कृतियों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है,भारत में यह पूर्णिमा गुरु शिष्य परंपरा के अटूट रिश्ते को प्रदर्शित करती है ,इसीलिए यह गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। वहीं अमेरिका में कुछ जनजातियां इसे जुलाई में आने वाले बड़े तूफानों से जोड़कर भी देखती हैं, इसलिए इसे थंडर मून भी कहा जाता है, कुछ अन्य लोगों द्वारा इसे सैल्मन मून, रास्पबेरी मून, क्लेमिंग मून, वाइर्ट मून, हर्ब मून और मीड मून के नाम से भी जाना जाता है और हमें यह भी पता चलता है कि यह नाम अमेरिका की एक पत्रिका ओल्ड फार्मर्स अल्मनैक के अनुसार इस शब्द की उत्पत्ति संभवतः अमेरिकन जनजातियों के एक समूह से ही हुई मानी जाती है। वैसे इस बक  मून को  घास की कटाई के बाद एंग्लो सैक्सन इसी मून को  ‘हे मून’  कहते थे, और इसीलिए इसका ‘थंडर मून’ नाम जुलाई में आने वाले तूफानों की एक बृहद निशानी भी माना जाता था।

कहां और कैसे देखें बक मून को _ खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि बकमून को देखने के लिए जरूरी है कि रात्रि का आसमान साफ हो, बादल या कोहरा एवम् प्रकाश प्रदूषण न हो, देखने के लिए बेहतर होगा कि किसी साफ़ स्वच्छ और कम रोशनी वाले स्थान पर जाया जाए। वैसे आप इसको अपनी साधारण आंखों से ही देख सकते हैं और इसको देखने के लिए किसी भी ख़ास उपकरणों की आवश्यकता नहीं है, यह खगोलीय घटना कई देशों के साथ ही सम्पूर्ण भारत में प्रत्येक जगह से दिखाई देगी, आप सीधे तौर से अपने घरों से ही इस खगोलीय घटना का लुत्फ़ उठा सकते हैं,

© अमर पाल सिंह,( खगोलविद), नक्षत्र शाला,(तारामण्डल) गोरखपुर उत्तर प्रदेश, भारत । 🇮🇳💫⭐✨🌟💥🙏🙏

 खगोलीय घटनाओं से संबंधित विशिष्ट जानकारी हेतु सम्पर्क सूत्र _7355546489 , ✉️ amarpal2250@gmail.com

                धन्यवाद । 

जय हिंद,जय भारत।🇮🇳 🙏🙏💥🌟✨⭐💫

#9july#science#spacetospace 

Read this also:-  A unique book Minds That shaped the world

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *